लगातार नेताओं के भाषण को सुन कर हम बोर होने हि लगे थे की एग्जिट पोल ने तो टीवी स्टूडियो में जैसे फिर से आग भर दी । एंकर फिरसे जोर जोर से चिलाने लगे और नेता गरज कर मनो प्राइम टाइम को हंगामा शो में बदलते रहे । सायद आप को भी यही हंगामा पसंद है , पर उ.प को ये साथ नहीं पसंद है ये ओपिनियन पोल भी बोलने लगे थे ।
इनपर विश्वास भी कैसे करलें ब्रेक्सिट और ट्रम्प की बात कोई पुरानी तो हुई नहीँ थी , सायद तभी वो भी ज्यादा sure होके कुछ नहीं बोल रहें थे । सभी को बस जानना था की सरकार कोन बना रहा है ? आधा सवा घन्टा टीवी देखने के बाद गुस्से से न जाने जाने कितनों ने टीवी बन्द क्र दिया होगा ।
अगले दिन रिजल्ट आ गया और कइयो के तो चुनावी गुब्बारे फुट गए मनो ओपपोजिशन में मातम छा गया , देखते ही देखते b.j.p की गाड़ी ३०० के भी आगे चली गयी सरे रिकॉर्ड टूट गए , भाई टूटे भी क्यों नहीं ऐसा मैंडेट आखरी बार राजीव गाँधी के समय में आया था ।
मोदी का मैजिक चल निकला होली मनी इसबार भगवा वाली । सरे देश ही नहीँ देश विदेश की भी नजरें इस पर लगी हुईं थी , हो भी क्यों नहीं आखिर यहाँ पर मोदी मैजिक ,डेमोनेटाइजेशन और अगले लोक सभा इलेक्शन से जोर क्र देखा जा रहा था । इस चुनाव को जीत कर न सिर्फ मोदी को कड़े फैसले लेने में बल मिलेगा ।
कड़े फैसले लिए गए तो थोरे समय तक महगाई फिर से मुह उठाएगी पर कुछ साल बाद विकास में बल मिलेगा और देश ग्लोबल लेवल पर और मजबूत होगा । पाकिस्तान और चाइना से हम और अछे से निपट पाएंगे और आम आदमी तक सरकार की योजनाएं पहुच पाएंगी ।
सुनते ही जित दौर चले आए हम पर समय लगेगा और बदलाव की राजनीती सुरु हो सकेगी ।