चुनाव जितने के बाद मोदीजी की छवी तेजी से बनी है, इसमें कोई दोराय नहीं है। कल तक जो मोदी के विरोधी थे वे भी मोदी मोदी के धुन में नाचने लगें है,और सेटमैक्स दीवाना बना दे की तर्ज पे मोदी जी भी लोंगों को दिवाना बना रहें है । उनके खुले समर्थन में मिडिया, कॉर्पोरेट, और लॉबी आ रहीं है और तथाकथित प्रचार उद्योग को बल मिला है, चाहे जमिनी हकीकत कुछ भी हो आपको अच्छा अच्छा ही दिखाया जाता है जिससे आप हमेसा धोखे में ही रहतें है । काम का प्रचार तो होना ही चाहिए, पर अति प्रचार, दुष्प्रचार या किसी कि इमेज बनाने को की जा रही प्रचार से बचना चाहिए ।
आज राजनीतिक धुर्वीकरण बढी है, और पहले से अलग तरह की राष्ट्रवाद ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए है । व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर जैसे मंचों पर आपको भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और आप ने भी अपने अपने विवेक से अपना गुट चुन लिया है । आज कोई भी चिजों की जाँच नहीं करता और मीडिया जो दिखता है बही सच मान लिया जाता है, सायद यही राजनेतिक अंधापन है जिसके हम सब नए शिकार है ।
आज मोदी जी राजनेतिक बहस या भाषणों से उठकर सीधे आपके घरों तक आ गए है , उनकी आहत मैंने भी महसूस की है, सायद आपका तो सामना भी हो गया हो। आज चीजें मोदी जी के ही इर्द गिर्द घूमने लगी है और हर बात मोदी के साथ होने या न होने पर खत्म हो जाती है । उन्होंने नए पुराने सभी मीडियम को साधने में मनो दचछता हासिल कर लि है, तभी तो रेडियो हो या टीवी, चाहे प्रिंट मीडिया वे मनो आपसे सीधे संवाद करहें है ।
सरकार में आने के बाद ही मोदी जी ने ताबरतोड़ फैसले लिए, खूब प्रशंसा भी हुई और विश्व में उनकी छवि और बेहतर हुई । ऐसा ही उनका मेक इन इंडिया का फैसला खूब चर्चा में रहा और इसकी खूब प्रसंसा भी हुई, कहने को तो बड़ी बड़ी बातें हुईं टीवी पर तो घण्टों लोग चिलाते रहें पर आज तक इसका क्या प्रभाव परा ? कितनी नए कल-कारखाने खुले या नए उद्योगों को बढने में क्या सहयोग दिया जा रहा है ? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि क्यों बाहर के कम्पनी तो अपना सामान बेच कर चली जातीं है पर अपने किसी को उठने का मौका नहीं मिलता, ये तो वैसा ही है कि एक गरीब को कोई ५० (50 ) रुपए भी नहीं दे रहा था पर उस भूखे गरीब की फोटो कहीं ५०(50 ) लाख में बिक जाती है ।
आप मोदी या किसी भी राजनेतिक पार्टी के मुरीद हो सकतें है पर अपनी लगाम किसी और के हाथ दे देना तो कोई अछि बात नहीं है, क्या आप समझतें है की आप जनता है किसी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं, आप किसी भी पार्टी के बात को सुन कर उसे मानने या न मानने का चुनाव क्र सकतें है। ये ही आपकी शक्ति है जिसे आप सायद खो रहें है, आशा है आप राजनेतिक अंधेपन का शिकार न होकर अपना मान बरहाएंगे ।
आज राजनीतिक धुर्वीकरण बढी है, और पहले से अलग तरह की राष्ट्रवाद ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए है । व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर जैसे मंचों पर आपको भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और आप ने भी अपने अपने विवेक से अपना गुट चुन लिया है । आज कोई भी चिजों की जाँच नहीं करता और मीडिया जो दिखता है बही सच मान लिया जाता है, सायद यही राजनेतिक अंधापन है जिसके हम सब नए शिकार है ।
आज मोदी जी राजनेतिक बहस या भाषणों से उठकर सीधे आपके घरों तक आ गए है , उनकी आहत मैंने भी महसूस की है, सायद आपका तो सामना भी हो गया हो। आज चीजें मोदी जी के ही इर्द गिर्द घूमने लगी है और हर बात मोदी के साथ होने या न होने पर खत्म हो जाती है । उन्होंने नए पुराने सभी मीडियम को साधने में मनो दचछता हासिल कर लि है, तभी तो रेडियो हो या टीवी, चाहे प्रिंट मीडिया वे मनो आपसे सीधे संवाद करहें है ।
सरकार में आने के बाद ही मोदी जी ने ताबरतोड़ फैसले लिए, खूब प्रशंसा भी हुई और विश्व में उनकी छवि और बेहतर हुई । ऐसा ही उनका मेक इन इंडिया का फैसला खूब चर्चा में रहा और इसकी खूब प्रसंसा भी हुई, कहने को तो बड़ी बड़ी बातें हुईं टीवी पर तो घण्टों लोग चिलाते रहें पर आज तक इसका क्या प्रभाव परा ? कितनी नए कल-कारखाने खुले या नए उद्योगों को बढने में क्या सहयोग दिया जा रहा है ? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि क्यों बाहर के कम्पनी तो अपना सामान बेच कर चली जातीं है पर अपने किसी को उठने का मौका नहीं मिलता, ये तो वैसा ही है कि एक गरीब को कोई ५० (50 ) रुपए भी नहीं दे रहा था पर उस भूखे गरीब की फोटो कहीं ५०(50 ) लाख में बिक जाती है ।
आप मोदी या किसी भी राजनेतिक पार्टी के मुरीद हो सकतें है पर अपनी लगाम किसी और के हाथ दे देना तो कोई अछि बात नहीं है, क्या आप समझतें है की आप जनता है किसी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं, आप किसी भी पार्टी के बात को सुन कर उसे मानने या न मानने का चुनाव क्र सकतें है। ये ही आपकी शक्ति है जिसे आप सायद खो रहें है, आशा है आप राजनेतिक अंधेपन का शिकार न होकर अपना मान बरहाएंगे ।