Friday 25 November 2016

क्या आप इंसान हैं ?

ऐसे तो हम खुद को बुद्धि जीव कहते नहीं थकते, अपनी उपलब्धियों को गिनाने से भी कोई गुरेज नहीं है । मानव या इंसान के कहने के लिए तो कई प्र्कार है पर सायद हम इंसान नहीं जीव बनते जा रहें हैं । क्या आपको ऐसा नहीं लगता,  आपने कितने ही दफा राह चलते दुर्घटना होते तो देखा ही होगा कितने लोग रुकतें है? और अगर रुक भी गए तो महज तमसा देख चलें जातें है. सायद ये कुछ ज्यादा ही बड़ी बात हो गयी सो फिर से छोटे से सुरु करतें हैं, क्या हमें पता है की परोस में कौंन रहता है? अगर पता हो भी तो बस एक दो दफा ही मिला होगा। वाकई आज जमाना तेज भाग रहा हैं और हम भी अब दौड़ना सिख गयें हैं , हम सुदूर अपने परिजन या गर्लफ्रेंड से तो बात क्र सकतें है पर सायद अब शब्द कम पर जा रहें हैं, emoji के बिना तो काम मुश्किल लगता है। भीड़ दौड़ रही है , और हम और आप कोई इससे अछूते नहीं हैं । 
                                                       आज आप कुते या बिल्ली तो पाल ले रहें हों पर सायद एक आम व्यव्हार सायद कहीं भूल जा रहें है, हमें सिर्फ अपनी पड़ी  है जमकर नोट भर लो अपना काम करो और भाग निकलो, कोन सायद बगल से गुजर जाये पता भी नहीं चलता ।  बात एकदम सच है की हम दिन प्र्तीदीन और अकेले होते जा रहें हैं तभी तो माइग्रेन, टेंशन जैसी चींजें आम हो चलीं हैं क्या आप कूद को अकेला महसूश नहीं करने लगें है या टीवी पर चैनल्स बदल बदल क्र काम चल जा रहा है । बस अब हमें जीने से मतलब है , अगर जिना ही इंसान होना है तो फिर जीव भी तो जी रहें है, सायद उनमें भी जिन्दा रहने की दौड़ हमसे कहीं ज्यादा है । अगर सब एसा ही है तो हमारा इंसान कहलाना क्या फिर अपनी कमजोरी को छुपाने की एक कोशिश माञ  है । 
                                                      क्या आप सकारात्मक सवाल करतें है, उत्तर देंनें में रूचि रखतें हैं? सायद विचार विमर्श करना पुराणी या समय काटने की बात हो गयी हैं । क्या आपको नहीं लगता आप इंसान नहीं भीड़  बस एक हिस्सा बनकर रह गए हो जिसे कुछ दिखता नहीं बस आक्रोश से भरा हुआ है, तभी लोग अव जल्दी अपना आपा खोने लगें हैं और बगझग़ तो दिनचर्या का हिस्सा सा हो गया है । हम अखवार पढ़ना कम कर दिये हैं, व्हाट्सएप्प या फेसबुक से काम चल रहा है, और जो दिखाई या बताई जाती है उसे पढ सायद अपना बीपी बढ़ाते रहतें हैं ।
                                मैं अभी भी आशान्वित हूँ की आप कुछ समझियेगा और इसी तरह तो हम सीखतें है , बाकी भूल चूक तो माफ़ है आखिर हम इंसान है ।

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